प्रतिभू के दायित्व की प्रकृति तथा सीमा को निम्न बिन्दुओं के द्वारा समझा जा सकता है- (1) प्रतिभू का दायित्व सह-विस्तारी होता है- अनुबन्ध अधिनियम की धारा 128 बताती है कि जब तक कि कोई विपरीत अनुबन्ध नहीं हो, तब तक प्रतिभू का...
चालू प्रतिभूति के सम्बन्ध में निम्न महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं को याद रखना चाहिए- (1) समय-समय पर विखण्डित प्रतिफल को लागू करना | विभाजित योग्य प्रतिफल एक चालू प्रतिभूति बहुत से विभिन्न या विशिष्ट व्यवहारों की श्रृंखला पर लागू होती है। अतः इसलिए |प्रतिफल...
प्रतिभूति के अनुबन्ध ‘प्रतिभूति का एक अनुबन्ध वचन का निष्पादन करने या एक तीसरे व्यक्ति के दायित्व का उसकी त्रुटि की स्थिति में पालन करने का अनुबन्ध होता है। व्यक्ति जो प्रतिभूति देता है उसे ‘प्रतिभू’ कहते हैं तथा व्यक्ति जिसकी त्रुटि के संदर्भ...
हानिरक्षा या क्षतिपूर्ति का अनुबन्ध ‘क्षतिपूर्ति का अनुबन्ध एक ऐसा अनुबन्ध है जिसके द्वारा एक पक्षकार दूसरे को स्वयं वचनदाता के व्यवहार या किसी भी अन्य व्यक्ति के व्यवहार द्वारा उसे होने वाली हानि से दूसरे को बचाने का वचन देता है’ (धारा 124)।...
एक अनुबन्ध विधि के न्यायालय में प्रवर्तनीय दायित्वों का निर्माण करता है। अतः यदि एक पक्षकार उसके हिस्से का निष्पादन करने में असफल रहता है, तब अन्य पक्षकार को अनुबन्ध का प्रवर्तन करवाने न्ययालय जाने का अधिकार होता है। एक उपचार कानून द्वारा...
अनुबन्ध की समाप्ति का अर्थ पक्षकारों के बीच में अनुबन्धीय सम्बन्धों की समाप्ति है। जब पक्षकारों के अधिकारों तथा दायित्वों का अन्त हो जाता है, तब कहा जाता है कि अनुबन्ध की समाप्ति हो गई है। एक अनुबन्ध की समाप्ति हो सकती है-...
परिस्थितियां जिनके अन्तर्गत अनुबन्धों के निष्पादन की जरूरत नहीं होती, निम्न हैं- 1.यदि एक अनुबन्ध के पक्षकार नवीकरण या परिवर्तन के लिए सहमत होते हैं, तब मौलिक अनुबन्ध के निष्पादन की जरूरत नहीं। होती है। ऐसी स्थिति में मौलिक अनुबन्ध एक नए अनुबन्ध...
जब अनुबन्ध के दोनों पक्षकार अनुबन्ध के अन्तर्गत निर्मित उनके अपने-अपने विधिक दायित्व पूरे कर देते हैं, तब इसे अनुबन्ध का निष्पादन कहा जाता है। जब एक अनुबन्ध उचित तरह से दोनों पक्षकारों द्वारा निष्पादित हो जाता है, तब अनुबन्ध समाप्त हो जाता...
गलती को किसी चीज के बारे में त्रुटिपूर्ण विश्वास के रूप में वर्णित किया जा सकता है। एक अनुबंध गलती द्वारा कारित किया जा सकता है जब अनुबंध के दोनों पक्षकार समान चीज पर तथा समान भाव में सहमत नहीं होते हैं। गलतियाँ...
अनुबंध के लिए एक जरूरी तथ्य के गलत विवरण का अर्थ मिथ्या व्यपदेशन होता है। भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 18 के अनुसार ‘मिथ्या व्यपदेशन का निम्न अर्थ है तथा इसमें शामिल हैं: मिथ्या व्यपदेशन एक असत्य कथन है जो एक व्यक्ति...