प्रतिफल की परिभाषा

साधारण भाषा में शब्दावली ‘प्रतिफल’ का अर्थ कुछ अन्य चीज को प्राप्त करने के लिए बदले में दी गई कोई चीज है (विशेषकर मुद्रा) ‘मुद्रा’ में होता है। अतः यह विश्वास किया जाता है कि प्रतिफल का मापन ज्यादातर

प्रतिफल एक वैध अनुबंध का एक महत्त्वपूर्ण अवयव होता है। इसका अर्थ है ‘quid pro quo’ अर्थात् ‘बदले में’ या ‘के बदले में’ जब एक व्यक्ति कोई चीज दे रहा है या कोई चीज देने का वायदा कर रहा है तब उसे बदले में भी कोई चीज पाना चाहिए। वह ‘कुछ चीज़’ जो प्राप्त करने का तय होता है, ‘प्रतिफल’ के रूप में जानी जाती है।

पोलोक ने ‘प्रतिफल’ को निम्न तरह परिभाषित किया है ‘प्रतिफल वह मूल्य है जिसके लिए दूसरे का वचन खरीदा जाता है एवं मूल्य के लिए इस तरह दिया गया वचन प्रवर्तनीय होता है’।

भारतीय अनुबन्ध अधिनियम की धारा 2 (d)- जब वचनकर्ता की इच्छा पर वचनगृहीता या किसी अन्य व्यक्ति ने कुछ कार्य किया है या उसके करने से विरत रहा है या कुछ कार्य करता है या उसके करने से विरत रहता

है अथवा कुछ कार्य करने या उस कार्य से विरत रहने का वचन देता है तो ऐसा कार्य या कार्य विरति या वचन, उस वचन के लिए प्रतिफल कहलाता उक्त परिभाषाओं से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि प्रतिफल वचनगृहीता द्वारा दिया गया एक वचन है जो ऐसी कोई चीज

होनी चाहिए जिसका कानून की नजर में कुछ मूल्य है।

उदाहरण: मनोहर 50,000रु. की एक रकम के लिए दीवान को उसका मकान बेचने के लिए सहमत होता है। यहाँ मनोहर के वचन के लिए प्रतिफल 50,000 रु. है तथा दीवान के वचन के लिए प्रतिफल मकान है।

भारतीय संविदा अधिनियम द्वारा ऊपर उल्लिखित प्रतिफल की परिभाषा का विश्लेषण करने पर, यह स्पष्ट है कि प्रतिफल निम्न हो सकता है:

वचनकर्ता वचनग्रहीता के समर्थन में कोई कार्य

प्रतिफल में एक त्याग भी शामिल हो सकता

(1) एक काम करने का वचन देता है।

(2) एक त्याग है अर्थात् किसी कार्य को न करना।

(3) एक बदले में वचन प्रतिफल आपसदारी के सिद्धान्त पर आधारित होता है अर्थात् एक पक्षकार की तरफ से एक कार्य या त्याग बदले में दूसरे के लिए प्रतिफल है।

(4) प्रतिफल भूत, वर्तमान या भावी हो सकता है : कार्य या

त्याग जो प्रतिफल को निर्मित करता है, वह वर्तमान, भूतकालीन या भावी हो सकता है।

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