माल का अर्थ

धारा 2 (7) के अनुसार ‘माल’ का अर्थ अभियोज्य दावों तथा मुद्रा को छोड़कर हर तरह की चल सम्पत्ति है तथा इसमें स्टॉक तथा शेयर्स, खड़ी फसलें, घास तथा भूमि से जुड़ी हुई या इसका भाग बनी वे सब वस्तुएं शामिल हैं जिन्हें विक्रय से पहले या विक्रय अनुबन्ध के अन्तर्गत भूमि से अलग करने हेतु सहमति हो गई हो।

अतः हर तरह की चल सम्पत्ति ‘माल’ शब्द की परिभाषा के

अन्तर्गत आती है। ख्याति, पेटेन्टस, ट्रेडमार्क्स, पानी, गैस, बिजली आदि भी चल सम्पत्तियाँ मानी जाती हैं तथा इसलिए माल मानी जाती हैं। एक ऋण माल नहीं है। इसे बेचा नहीं जा सकता हालांकि हस्तान्तरित किया जा सकता है। वर्तमान में प्रचलन में मुद्रा को माल की परिभाषा में

शामिल नहीं किया जाता है परन्तु पुराने तथा दुर्लभ सिक्कों को आसानी से माल माना जा सकता है तथा वे विक्रय के एक अनुबन्ध की विषय-वस्तु हो सकते हैं।

माल का वर्गीकरण

‘माल’ को निम्न श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है-

(1) वर्तमान माल- अनुबन्ध करते समय विक्रेता के स्वामित्व या कब्जे में जो माल होता है वह ‘वर्तमान माल’ कहलाता है। वर्तमान माल निम्न अनुसार दो तरह का होता है-

(i) निश्चित या विशिष्ट माल अनुबन्ध करते समय या

अनुबन्ध करने के बाद जो माल निश्चित या तय कर लिया जाता है उसे ‘निश्चित या विशिष्ट माल’ कहा जाता है।

उदाहरण- राम के पास 10 घड़ियाँ हैं। उसने विक्रय के समय घड़ी के विशिष्ट उल्लेख के साथ इनमें से एक को श्याम को बेचने का वचन दिया। इस प्रकरण में विक्रय के समय माल निश्चित कर लिया गया है तथा इसलिए यह निश्चित या विशिष्ट माल के विक्रय का एक अनुबन्ध

(ii) अनिश्चित माल अनुबन्ध करते समय जो माल निश्चित

तथा तय नहीं किया जाता उसे ‘अनिश्चित माल’ कहा जाता है।

उदाहरण- राम के पास 3 स्कूटर्स हैं। वह विक्रय के समय स्कूटर का विशिष्ट उल्लेख किए बिना उनमें से एक श्याम को बेचने का वचन देता है। इस स्थिति में विक्रय के समय माल निश्चित नहीं किया गया है। तथा इसलिए यह अनिश्चित माल के विक्रय का एक अनुबन्ध है। इस

प्रकरण में स्कूटर तब निश्चित हो जाएगा जब राम इस बात पर अपना मस्तिष्क बना लेगा कि वह कौनसा स्कूटर बेचेगा तथा श्याम इस पर उसकी सहमति दे देगा।

(2) भावी माल अनुबन्ध के करते समय जो माल विक्रेता के

स्वामित्व या कब्जे में नहीं है तथा जो अनुबन्ध करने के बाद निर्मित, उत्पादित या प्राप्त किया जाना हो वह ‘भावी माल’ कहलाता है।

उदाहरण- सीता ने गीता को 10 मीटर कपड़ा बेचने का वचन दिया। सीता के पास कोई कपड़ा नहीं है लेकिन कपड़ा अब उसके द्वारा खरीदा जाना है। यहाँ भावी माल के लिए विक्रय का अनुबन्ध है।

3.संयोगिक माल जिस माल की विक्रेता द्वारा प्राप्ति किसी

अनिश्चित आकस्मिकता पर निर्धारित हो, उसे ‘संयोगिक माल’ कहा जाता है।

उदाहरण- तरुण ने अरुण को एक वस्तु की 100 इकाई बेचने का वचन दिया बशर्ते कि जो हवाई जहाज उन्हें ला रहा है वह हवाई अड्डे तक सुरक्षित पहुँच जाए। यह संयोगिक माल के विक्रय का एक ठहराव है।

मूल्य का अर्थ price

वस्तु विक्रय अधिनियम की धारा 2 (10) मूल्य को परिभाषित करती है। इस धारा के अनुसार ‘मूल्य का आशय मुद्रा के रूप में वस्तु विक्रय के प्रतिफल से है। मुद्रा का अर्थ प्रचलन में विधिक tender मुद्रा से है। पुराने तथा दुर्लभ सिक्के हालांकि ‘मुद्रा’ शब्द की परिभाषा में

शामिल नहीं किए जाते हैं।

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