शर्त तथा आश्वासन का अर्थ

विक्रय के हर अनुबन्ध में माल की गुणवत्ता के सम्बन्ध में कई बन्धन होते हैं। सभी बन्धन समान महत्त्व के नहीं होते। जो बन्धन विक्रय के अनुबन्ध के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण होते हैं तथा जिनको भंग करना अनुबन्ध-भंग माना जाता है उन्हें ‘शर्तेर्तें’ कहा जाता है तथा बन्धन जो इतने जरूरी नहीं होते तथा जिनके भंग से अनुबन्ध का विखण्डन नहीं

होता उन्हें ‘आश्वासन के नाम से जाना जाता है।

वस्तु विक्रय अधिनियम, 1930 की धारा 12 के अनुसार एक ‘शर्त’ अनुबन्ध के प्रमुख उद्देश्य के लिए जरूरी एक बन्धन है, जिसका भंग अनुबन्ध को विखण्डित मानने के अधिकार को पैदा करता है। एक ‘आश्वासन’ अनुबन्ध के प्रमुख उद्देश्य के लिए एक समपार्रिवक बन्धन

है, जिसका भंग हर्जाने के दावे को उत्पन्न करता है परन्तु माल को अस्वीकार करने तथा अनुबन्ध को विखण्डित मानने का अधिकार नहीं देता।

शर्तों तथा आश्वासनों के प्रकार

शर्तों तथा आश्वासनों को दो शीर्षकों में वर्गीकृत किया जा

सकता है-(1) स्पष्ट, (2) गर्भित। स्पष्ट वे हैं जिन्हें अनुबन्ध में विशिष्टतः उल्लेखित किया गया है। लेकिन गर्भित शर्तें तथा आश्वासन वे हैं जिन्हें में कानून द्वारा समामेलित किया गया है जब तक कि अनुबन्ध  के पक्षकार किसी और बात पर सहमत हों।

गर्भित शर्तें

गर्भित शर्तों के अन्तर्गत निम्न को शामिल किया जा सकता है-

(1) स्वत्व सम्बन्धी शर्त – एक विक्रय के अनुबन्ध में, एक

गर्भित शर्त होती है कि विक्रेता को माल बेचने का एक अधिकार है तथा विक्रय के एक ठहराव में विक्रेता को उस समय माल बेचने का अधिकार होगा जब सम्पत्ति हस्तान्तरित होनी है।

(2) वर्णन द्वारा विक्रय- जहाँ माल के वर्णन द्वारा विक्रय का एक अनुबन्ध होता है, तब एक गर्भित शर्त होती है कि माल वर्णन के अनुसार होगा।

(3) नमूने द्वारा विक्रय नमूने द्वारा विक्रय के एक अनुबन्ध में एक गर्भित शर्त होती है कि bulk गुणवत्ता में नमूने के अनुसार होगा तथा क्रेता को bulk की नमूने से तुलना करने का उचित मौका मिलेगा।

(4) नमूने के साथ-साथ वर्णन द्वारा विक्रय नमूने तथा वर्णन द्वारा विक्रय के एक अनुबन्ध में, एक गर्भित शर्त होती है कि माल का bulk न सिर्फ नमूने से मेल खाएगा बल्कि इसके वर्णन से भी मिलेगा।

(5) माल की उपयुक्तता तथा गुणवत्ता के बारे में गर्भित शर्त-जहाँ क्रेता स्पष्ट या सांकेतिक रूप से विक्रेता को उस विशिष्ट उद्देश्य की जानकारी देता है जिसके लिए माल की जरूरत है तथा दिखाता है कि क्रेता विक्रेता के कौशल या निर्णय पर भरोसा करता है वहाँ एक गर्भित शर्त होती है कि माल ऐसे उद्देश्य हेतु उचित रूप से उपयुक्त होगा।

लेकिन जहाँ क्रेता ने माल का परीक्षण कर लिया है वहाँ उन त्रुटियों के सम्बन्ध में कोई गर्भित शर्त नहीं होती जो ऐसे परीक्षण से प्रकट हो जाना चाहिए थीं।

(6) व्यापार की रीतियाँ- एक विशिष्ट उद्देश्य के लिए माल की गुणवत्ता तथा उपयुक्तता के बारे में गर्भित शर्त व्यापार की रीतियों से annexed हो सकती है।

(7) स्वास्थ्यप्रद के बारे में शर्त खान पान की वस्तुओं तथा

Provisions के विक्रय के अनुबन्ध की स्थिति में व्यापारिक गुणवत्ता की शर्त के अतिरिक्त विक्रेता पर यह अतिरिक्त दायित्व भी होता है कि माल स्वास्थ्यप्रद होगा।

गर्भित आश्वासन

विक्रय के एक अनुबन्ध की स्थिति में नीचे दिए अनुसार दो

गर्भित आश्वासन होते हैं-

(1) जल्दी कब्जे का आश्वासन- एक गर्भित आश्वासन यह

होता है कि क्रेता को माल का जल्दी कब्जा मिलेगा तथा वह इसका शांतिपूर्ण उपयोग कर सकेगा।

(2) माल का किसी भार से मुक्त होने का आश्वासन- एक

गर्भित आश्वासन यह होता है कि माल किसी तृतीय पक्षकार के पक्ष में किसी भार या बाधा से मुक्त होगा जो कि अनुबन्ध करने के पहले या करते समय क्रेता को ज्ञात न हो।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

CLICK THIS LOWER IMAGE AND WAIT 10 SECOND

This will close in 15 seconds

Scroll to Top