मूल्य का निर्धारण
वस्तु विक्रय अधिनियम द्वारा मूल्य के निर्धारण को विशेषतः से किया जा सकता है- दिया गया है। विक्रय के एक अनुबन्ध में मूल्य का निर्धारण निम्न तरीके (1) मूल्य निश्चित…
वस्तु विक्रय अधिनियम द्वारा मूल्य के निर्धारण को विशेषतः से किया जा सकता है- दिया गया है। विक्रय के एक अनुबन्ध में मूल्य का निर्धारण निम्न तरीके (1) मूल्य निश्चित…
धारा 2 (7) के अनुसार ‘माल’ का अर्थ अभियोज्य दावों तथा मुद्रा को छोड़कर हर तरह की चल सम्पत्ति है तथा इसमें स्टॉक तथा शेयर्स, खड़ी फसलें, घास तथा भूमि…
वस्तु विक्रय अधिनियम, 1930 की धारा 2 (2) के अनुसार ‘एक व्यक्ति से दूसरे को कब्जे का ऐच्छिक हस्तान्तरण ‘सुपुर्दगी’ होता है।’ वस्तु विक्रय अधिनियम की धारा 33 के अनुसार…
माल के विक्रय के ठहरावों में प्रमुख चीज माल के स्वामित्व का हस्तान्तरण है। जब क्रेता माल का स्वामी बनता है सिर्फ तभी माल के स्वामित्व का हस्तान्तरण स्थापित हुआ…
विक्रय के अनुबन्ध का अर्थ वस्तु विक्रय अधिनियम, 1930 की धारा 4(1) के अनुसार ‘विक्रय का अनुबन्ध एक ऐसा अनुबन्ध है जिसके द्वारा विक्रेता क्रेता को एक कीमत के लिए…
भुगतान करने तथा मूल ऋणी के दायित्व से मुक्ति पाने के बाद, प्रतिभू विभिन्न अधिकार पाता है। ऐसे अधिकार नीचे दिए अनुसार तीन प्रकार के हैं- (i) मूल ऋणी के…
एक प्रतिभू तब दायित्व से मुक्त माना जाता है जब अनुबन्ध के अन्तर्गत उसका दायित्व खत्म हो जाता है। निम्न तरीके या परिस्थितियाँ हैं जिनमें एक प्रतिभू उसके दायित्व से…