अनुबन्ध की समाप्ति
अनुबन्ध की समाप्ति का अर्थ पक्षकारों के बीच में अनुबन्धीय सम्बन्धों की समाप्ति है। जब पक्षकारों के अधिकारों तथा दायित्वों का अन्त हो जाता है, तब कहा जाता है कि…
अनुबन्ध की समाप्ति का अर्थ पक्षकारों के बीच में अनुबन्धीय सम्बन्धों की समाप्ति है। जब पक्षकारों के अधिकारों तथा दायित्वों का अन्त हो जाता है, तब कहा जाता है कि…
परिस्थितियां जिनके अन्तर्गत अनुबन्धों के निष्पादन की जरूरत नहीं होती, निम्न हैं- 1.यदि एक अनुबन्ध के पक्षकार नवीकरण या परिवर्तन के लिए सहमत होते हैं, तब मौलिक अनुबन्ध के निष्पादन…
जब अनुबन्ध के दोनों पक्षकार अनुबन्ध के अन्तर्गत निर्मित उनके अपने-अपने विधिक दायित्व पूरे कर देते हैं, तब इसे अनुबन्ध का निष्पादन कहा जाता है। जब एक अनुबन्ध उचित तरह…
गलती को किसी चीज के बारे में त्रुटिपूर्ण विश्वास के रूप में वर्णित किया जा सकता है। एक अनुबंध गलती द्वारा कारित किया जा सकता है जब अनुबंध के दोनों…
अनुबंध के लिए एक जरूरी तथ्य के गलत विवरण का अर्थ मिथ्या व्यपदेशन होता है। भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 18 के अनुसार ‘मिथ्या व्यपदेशन का निम्न अर्थ है तथा…
कपट का अर्थ निम्न होता है व इसमें शामिल होता है अन्य पक्षकार को धोखा देने तथा इसे प्रस्ताव पर उसकी सहमति देने तथा एक अनुबंध करने के लिए प्रेरित…
एक वैध अनुबंध के लिए दो अनिवार्यताओं अर्थात् प्रस्ताव एवं सहमति तथा पक्षकारों के बीच में संविदा करने की क्षमता के बाद ज्यादा महत्त्वपूर्ण तीसरी जरूरत ‘स्वतंत्र सहमति’ है। स्वतंत्र…
निम्न व्यक्ति एक वैध अनुबंध करने के लिए अयोग्य माने जाते है – (1) विदेशी शत्रु: एक विदेशी एक व्यक्ति है जो एक विदेशी देश का नागरिक है तथा जो…
भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 11 के अनुसार, यह है कि एक अनुबंध के पक्षकार स्वस्थ मस्तिष्क के होने चाहिए, अ अनुबंध को व्यर्थ माना जाएगा। ‘अस्वस्थ मस्तिष्क’ के लोगों…
भारत में अवयस्कों द्वारा किए अनुबंधों के संबंध में निम्न सामान्य नियम हैं: (1) एक अवयस्क के साथ या उसके द्वारा एक ठहराव प्रारंभ से अपरिचालित तथा व्यर्थ होता है:…