प्रतिफल के बिना, अनुबंध व्यर्थ होंगे। अतः प्रतिफल एक वैध अनुबंध की एक जरूरी विशेषता है। प्रतिफल के बिना संव्यवहार शर्तों या नियमों के विरुद्ध होता है तथा यह उपस्थित नहीं हो सकता। इसी तरह सालमंड तथा बिनफील्ड ने उनकी पुस्तक ‘संविदा अधिनियम’ में उल्लेख
किया है कि प्रतिफल के बिना दिया वचन एक उपहार के समान है जबकि प्रतिफल के साथ वचन एक संव्यवहार है।
‘प्रतिफल के बिना अनुबंध व्यर्थ है’ नियम के अपवाद
साधारणत: ऐसे अनुबंध व्यर्थ होते हैं जहाँ प्रतिफल की कमी होती है। लेकिन निम्न दशाओं में, भले ही कोई प्रतिफल नहीं है, तब भी अनुबंधों को वैध तथा कानूनंपूर्ण माना जाता है।
(1) प्राकृतिक प्रेम तथा स्नेह के कारण कोई वचन: आपसी
प्राकृतिक प्रेम तथा स्नेह के कारण, कई पक्षकार, अन्य पक्षकारों को कर नियम मुद्रा या रकम देने का वचन देते हैं। हालांकि ऐसे अनुबंधों में कोई प्रतिफल नहीं होता, तब भी ये अनुबंध वैध होते हैं लेकिन ऐसे अनुबंध लिखित होने चाहिए।
उदाहरण
अ .बगैर प्रतिफल के ब को 1000 रु. देने का वचन देता है। यह एक व्यर्थ ठहराव है।
(ब) अ स्वाभाविक प्रेम तथा स्नेह के कारण उसके पुत्र ब को 1000 रु देने का वचन देता है। अ उसके वचन को लिखकर इसे रजिस्टर्ड करवाता है। यह एक अनुबन्ध है।
(2) भूतकाल में की गई सेवाओं के लिए क्षतिपूर्ति देने का
कोई वचन: यदि एक व्यक्ति ने वचनदाता के लिए पूर्व में कुछ स्वेच्छा से किया है तथा वचनदाता उसे उस कार्य के लिए कुछ पैसा देने का वचन देता है, तो यह वचनदाता पर एक बाध्य अनुबन्ध होगा।
उदाहरण: सुशीला का लॉकेट खो जाता है जो किसी तरह
शांति को मिलता है। शांति इसे सुशीला को लौटाती है। सुशीला शांति को 51 रु. की रकम का भुगतान करने का वायदा करती है। यहाँ किसी प्रतिफल के नहीं होने पर भी, अनुबंध वैध होगा जिसे शांति कानूनी तौर
पर प्रवर्तनीय करा सकती है।
(3) समय वर्जित ऋणों का भुगतान करने का वचनः किसी
ऋण के समय वर्जित होने के बाद, यदि इसके पुनर्भुगतान के लिए कोई लिखित अनुबंध किया जाता है, तब ऐसे अनुबंध प्रतिफल के बिना भी वैध होंगे।
उदाहरण-राम ने श्याम से 200 रु. का एक अग्रिम लिया। तीन वर्षों तक इसके पुनर्भुगतान के न होने के कारण यह समय वर्जित ऋण हो गया। यदि तीन वर्षों के बाद भी, राम 200 रु. वापस देने का वचन देते हुए पुनः एक लिखित अनुबंध करता है, तब यह अनुबंध प्रतिफल के
बिना भी, एक वैध अनुबंध होगा।
(4) दान से संबंधित अनुबंध : यदि कोई व्यक्ति एक दान देने की घोषणा करता है तब हालांकि दान प्राप्त करने वाला व्यक्ति, दान के लिए कोई प्रतिफल नहीं दे रहा है, तब भी अनुबंध वैध माना जाएगा।
(5) एजेन्सी के अनुबंध एजेन्सी अनुबंधों में प्रतिफल की कोई जरूरत नहीं होती। प्रतिफल के बिना भी एजेन्सी के अनुबंध वैध होते हैं।
(6) क्रेडिट संव्यवहारों से संबंधित अनुबंध ऐसे कोई भी
अनुबंध जिनमें किसी चीज को स्वीकार किए बिना, ऋण या अग्रिम दिया जा सकता है, ऐसे अनुबंध प्रतिफल के बिना भी वैध होते हैं।
(7) पूर्ण उपहार- एक उपहार (जो एक ठहराव नहीं है) को वैध होने के लिए प्रतिफल की जरूरत नहीं होती। ‘दानकर्ता तथा दानग्रहीता के बीच कोई भी वास्तविक उपहार वैध तथा बाध्य होगा भले ही बिना प्रतिफल के हो। इस अपवाद को लागू करने के लिए दानकर्त्ता तथा दानग्रहीता के बीच में स्वाभाविक प्रेम तथा स्नेह या सम्बन्धों की समीपता
होना चाहिए। हालांकि उपहार पूर्ण होना चाहिए।