निम्न व्यक्ति एक वैध अनुबंध करने के लिए अयोग्य माने जाते है –
(1) विदेशी शत्रु: एक विदेशी एक व्यक्ति है जो एक विदेशी
देश का नागरिक है तथा जो भारत के संघ के विषयगत नहीं है। कुछ प्रतिबंधों के विषयगत एक विदेशी मित्र के साथ अनुबंध वैध होते हैं।लेकिन एक विदेशी शत्रु अर्थात् एक विदेशी जिसका राज्य भारत के साथ युद्ध की स्थिति में है, के साथ एक अनुबंध युद्ध के जारी रहने के दौरान कानून द्वारा प्रवर्तनीय नहीं होता है। यदि एक अनुबंध युद्ध के पहले किया
गया है तब अनुबंध निरस्त होगा या युद्ध की अवधि के दौरान स्थगित रहेगा। ऐसे अनुबंधों को निष्पादित करने की अनुमति दी जा सकती है। यदि वे लोक नीति के विरुद्ध नहीं हैं।
(3) विदेशी शासक तथा राजनयिक स्टाफ : विदेशी शासक तथा राजनयिक स्टाफों के कुछ विशेषाधिकार होते हैं तथा उन पर न्यायालय में वाद नहीं लाया जा सकता जब तक केन्द्रीय सरकार से अनुमति नहीं मांगी गई हो तथा ऐसी अनुमति दी गई हो।
(4) मुजरिम या अपराधी एक मुजरिम कारावास के दौरान
‘टिकिट ऑफ लीव’ कहे जाने वाले एक विशेष लाइसेंस के अंतर्गत छोड़कर, एक अनुबंध करने के लिए असक्षम होता है। ऐसा एक व्यक्ति पुनः कानून पूर्ण अनुबंध करने में सक्षम होता है जब उसकी सजा की अवधि खत्म हो जाती है।
5. दिवालिये एक व्यक्ति के दिवालिया घोषित किए जाने के
बाद, सिर्फ आधिकारिक रिसीवर या असाइनी दिवालिए की संपत्ति से डील करने का अधिकारी होता है क्योंकि संपत्ति आधिकारिक रिसीवर या आधिकारिक असाइनी में निहित होती है। एक दिवालिया उसकी संपत्ति के लिए अनुबंध करने के उसके अधिकार से वंचित होता है।
(5) निगम या संयुक्त स्कंध कंपनियाँ : एक निगम कानून द्वारा निर्मित एक कृत्रिम व्यक्ति है, जिसका इसके सदस्यों से भिन्न एक शाश्वत तथा विशिष्ट अस्तित्व है। यह विधायिका के एक विशेष कानून या भारतीय कंपनी अधिनियम, 1956 के अंतर्गत पंजीयन द्वारा अस्तित्व में
आ सकता है। जहाँ तक कंपनी अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत निर्मित तथा पंजीयत निगम का सवाल है, इसकी संविदात्मक क्षमता इसके पार्षद सीमानियम तथा अंतर्नियमों द्वारा सीमित होती है। इसकी व्यक्त शक्तियों के पार कोई अनुबंध अधिकारातीत होता है तथा अवैध
होता है।
(6) विवाहित स्त्रियाँ विवाहित स्त्रियाँ उनकी अलग सम्पत्तियो (स्त्रीधन) के संदर्भ में अनुबन्ध करने के योग्य होती हैं बशर्ते कि वे वयस्क तथा स्वस्थ मस्तिष्क की हों। वे उनके पतियों की सम्पत्तियों के संदर्भ में अनुबन्ध नहीं कर सकती हैं। एक विवाहित स्त्री हालांकि उसके
पति के अभिकर्ता के रूप में कार्य कर सकती है तथा उसे पूर्ति की गयी अनिवार्यताओं हेतु उसके पति की सम्पत्ति को bind कर सकती है यदि वह उसे अनिवार्यताएं उपलब्ध कराने में असफल रहता है।