अनुबंधों का निष्पादन

जब अनुबन्ध के दोनों पक्षकार अनुबन्ध के अन्तर्गत निर्मित

उनके अपने-अपने विधिक दायित्व पूरे कर देते हैं, तब इसे अनुबन्ध का निष्पादन कहा जाता है। जब एक अनुबन्ध उचित तरह से दोनों पक्षकारों द्वारा निष्पादित हो जाता है, तब अनुबन्ध समाप्त हो जाता है तथा उसके बाद कुछ शेष नहीं रहता है। अनुबन्ध का निष्पादन, एक अनुबन्ध की

समाप्ति का एक सामान्य तरीका है।

अतः निष्पादन हो सकता है-

1.वास्तविक निष्पादन

2.निष्पादन का प्रयास करना

अ) वास्तविक निष्पादन- जब पक्षकारों ने वह कर दिया है।

जिसे उन्होंने करना तय किया था या उन्होंने अनुबन्ध के अन्तर्गत उनके दायित्वों को पूरा कर दिया है, तब कहा जाता है कि अनुबन्ध का वास्तव में निष्पादन हो गया है।

(ब) निष्पादन का प्रयास करना- जब अनुबन्ध के पक्षकारों में से एक अनुबन्ध को निष्पादित करने का प्रस्ताव करता है, परन्तु दूसरा पक्षकार इसे स्वीकार नहीं करता, तब निष्पादन का प्रयास होता है।

उदाहरण : अ, ब को उसकी घड़ी 200 रु. में बेचने हेतु सहमत होता है। अ घड़ी की सुपुर्दगी करता है तथा ब भुगतान करता है। अ, ब को उसकी घड़ी 200 रु. में बेचने हेतु सहमत होता है। घड़ी की सुपुर्दगी का प्रस्ताव करता है परन्तु व इसे स्वीकार नहीं करता।

 प्रथम उदाहरण में वास्तविक निष्पादन है, जबकि दूसरे में अ द्वारा निष्पादन का प्रयास है जिसे ब द्वारा स्वीकार नहीं किया गया था।

वास्तविक निष्पादन अनुबन्ध की समाप्ति कर देता है। इसी तरह निष्पादन का प्रयास भी अनुबन्ध को समाप्त कर देता है। निष्पादन के प्रयास की स्थिति में गैर-निष्पादन के लिए वचनदाता जिम्मेदार नहीं होता है।

कौन निष्पादन की माँग कर सकता है?

सिर्फ वचनग्रहीता एक अनुबन्ध के अन्तर्गत वचन के निष्पादन की माँग कर सकता है। एक तृतीय पक्षकार अनुबन्ध के निष्पादन की माँग नहीं कर सकता भले ही यह उसके लाभ के लिए किया गया हो।

वचनग्रहीता की मृत्यु की स्थिति में उसके विधिक प्रतिनिधि

अनुबन्ध के निष्पादन को लागू करवाने हेतु अधिकारी होते हैं।

निम्न के द्वारा अनुबन्धों का निष्पादन किया जाना चाहिए-

(I) स्वयं वचनदाता द्वारा यदि अनुबन्ध में यह दिखाने के लिए कुछ है कि पक्षकारों का यह इरादा था कि अनुबन्ध का निष्पादन स्वयं वचनदाता द्वारा किया जाए, तब इसका निष्पादन वचनदाता द्वारा किया जाना चाहिए। जब अनुबन्ध ऐसा है कि इसे वचनदाता के व्यक्तिगत

कौशल या परिश्रम की जरूरत होती है, जिसे एक चित्र रंगने का अनुबन्ध, एजेन्सी या सेवा का अनुबन्ध विवाह करने का अनुबन्ध आदि।

(2) अभिकर्ता जहाँ व्यक्तिगत योग्यता, एक अनुबन्ध का

आधार न हो, वहाँ वचनदाता या उसका प्रतिनिधि इसके निष्पादन हेतु एक योग्य व्यक्ति को नियुक्त कर सकते हैं।

उदाहरण- अ, ब को कुछ पैसा देने का वचन देता है। अ इस

वचन का निष्पादन व्यक्तिगत रूप से ब को पैसे का भुगतान करके या ब को किसी अन्य द्वारा करवाकर कर सकता है।

(3) विधिक प्रतिनिधि यदि अनुबन्ध इस तरह का है कि जिसे व्यक्तिगत कौशल के उपयोग की जरूरत होती है तो वह वचनदाता की मृत्यु पर खत्म हो जाता है। विधि का नियम यह है कि कार्य का व्यक्तिगत कारक सम्बन्धित व्यक्ति की मृत्यु के साथ खत्म हो जाता है’।

किसी अन्य अनुबन्ध की स्थिति में, जिसमें व्यक्तिगत कौशल की जरूरत हीं होती है, विधिक प्रतिनिधि अनुबन्ध के निष्पादन के लिए बाध्य होते हैं। लेकिन उनका दायित्व उनके द्वारा मृतक से प्राप्त सम्पत्ति के मूल्य

 क सीमित रहता है।

उदाहरण -अ, ब को 1000 रु. के भुगतान पर एक नियत दिन पर माल की पूर्ति करने का वचन देता है। अ उस दिन के पहले मर जाता है। अ के प्रतिनिधि ब को माल पूर्ति करने के लिए बाध्य हैं तथा ब, अ के प्रतिनिधियों को 1000 रु. का भुगतान करने के लिए बाध्य है।

(4) तृतीय व्यक्ति द्वारा निष्पादन- धारा 41 के अनुसार, यदि एक वचनग्रहीता एक तृतीय व्यक्ति से वचन का निष्पादन स्वीकार कर लेता है तब वह बाद में इसे वचनदाता के विरुद्ध लागू नहीं करवा सकता। यह

गेट करना महत्त्वपूर्ण है कि एक बार जब वचनग्रहीता ने तीसरे पक्षकार द्वारा निष्पादन को स्वीकार कर लिया है, तब वचनदाता बचनग्रहीता के वेरुद्ध उसके दायित्व से मुक्त हो जाता है।

उदाहरण- अ को ब से 5000 रु. प्राप्त करना है। व के स्थान पर ई ने ब को 4500 रु. का भुगतान किया जिसे अ ने ब से कुल समझौते में स्वीकार कर किया। अब अ, व से किसी राशि का दावा नहीं कर सकता।

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