प्रस्ताव का अर्थ

भारतीय संविदा अधिनियम में शब्द ‘प्रस्ताव’ को ‘ऑफर’ के

लिए प्रयोग किया गया है। भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 2(a) के अनुसार ‘जब एक व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति से किसी कार्य को करने या न करने के सम्बन्ध में अपनी इच्छा इस उद्देश्य से प्रकट करे कि उस कार्य

को करने या न करने के सम्बन्ध में उस व्यक्ति की सहमति प्राप्त हो, तो यह माना जाएगा कि उस व्यक्ति ने प्रस्ताव रखा’ ।

उदाहरण के लिए मुकेश महेश से कहता है कि क्या वह उसकी साइकिल को 300 रु. में खरीदना चाहेगा? यहाँ मुकेश ने महेश के सामने प्रस्ताव रखा है तथा प्रस्ताव किया गया है। प्रस्ताव लाने वाला व्यक्ति ‘प्रस्तावकर्ता’ या ‘वचनकर्ता’ के रूप में जाना जाता है तथा प्रस्ताव को

स्वीकार करने वाला व्यक्ति ‘स्वीकारकर्त्ता’ या ‘वचनगृहीतों’ के रूप में जाना जाता है।

उदाहरण- अ ने ब को उसका मकान 50,000 रु. में बेचने का प्रस्ताव किया। ब ने उस मकान के लिए 50,000 रु. भुगतान करने की स्वीकृति दी। यहाँ अ को ‘प्रस्तावक’ तथा ब को ‘स्वीकारक’ कहा जाएगा।

प्रस्ताव की अनिवार्यताएं

एक प्रस्ताव की तीन अनिवार्यताएं होती हैं:

(1) दो पक्षकारों की उपस्थिति : एक अकेला व्यक्ति स्वयं

वचनकर्ता तथा वचनग्रहीता दोनों नहीं बन सकता। अतः एक प्रस्ताव के लिए दो पक्षकारों की जरूरत होती है।

(2) प्रस्ताव के प्रारूप प्रस्ताव निम्न के लिए हो सकता है:

i.या किसी कार्य को करने के लिए, या

ii.किसी कार्य को न करना

उदाहरण के लिए (अ) एक साइकिल को विक्रय करने के लिए। मुकेश द्वारा प्रस्ताव देना तथा (ब) सुरेश द्वारा दिनेश के सामने प्रस्ताव कि 25 रु. प्राप्त करने के बदले वह एक हफ्ते तक कॉलेज नहीं जाएगा।

(3) दूसरे व्यक्ति की सहमति : यह एक प्रस्ताव की मूलभूत

कोई मतलब नहीं होता। विशेषता है क्योंकि यदि सहमति प्राप्त नहीं होती तब किसी प्रस्ताव का

प्रस्ताव के प्रकार

(1) स्पष्ट प्रस्ताव एक प्रस्ताव या बोले या लिखे शब्दों द्वारा

व्यक्त किया जाता है, उसे स्पष्ट प्रस्ताव के नाम से जाना जाता है। उदाहरण के लिए पी. क्यू. से कहता है ‘मैं अपना टेलीविजन 8,000 रु. में बेचना चाहता हूँ’, यह एक स्पष्ट प्रस्ताव है।

(2) गर्भित प्रस्ताव- एक प्रस्ताव जो बोले या लिखे शब्दों द्वारा व्यक्त नहीं किया जाता बल्कि उसे एक व्यक्ति के व्यवहार या एक विशिष्ट प्रकरण की परिस्थितियों से निष्कर्षित किया जाता है. उसे एक गर्भित प्रस्ताव कहा जाता है।

(3) विशिष्ट प्रस्ताव- जब एक प्रस्ताव एक विशिष्ट व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह को किया जाता है, तो उसे एक विशिष्ट प्रस्ताव कहा जाता है। एक विशिष्ट प्रस्ताव सिर्फ उस व्यक्ति या व्यक्तियों द्वारा स्वीकार किया जा सकता है, जिन्हें यह किया जाता है।

(4) सामान्य प्रस्ताव सामान्य रूप में जनता को किया गया या पूरी दुनिया को किया गया एक प्रस्ताव, एक सामान्य प्रस्ताव कहलाता है। एक सामान्य प्रस्ताव ऐसे किसी भी व्यक्ति द्वारा स्वीकार किया जा सकता है जो प्रस्ताव की शर्तों को पूरा करे। खोई वस्तुओं या घरेलू जानवरों को ढूँढ़ने या चोरी की सम्पत्ति के बारे में सूचना देने के लिए इनाम देने का विज्ञापन सामान्य प्रस्ताव है क्योंकि उन्हें किसी भी व्यक्ति द्वारा जिसने विज्ञापन पढ़ा है स्वीकार एवं उसके अनुसार निष्पादन किया जा सकता है।

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