प्रस्ताव से सम्बन्धित निम्न कानूनी नियम बहुत महत्त्वपूर्ण हैं:
( 1 ) प्रस्ताव को कानूनी संबंधों को स्थापित करने के उद्देश्य से किया जाना चाहिए प्रस्ताव के पक्षकारों के बीच में कानूनी संबंध स्थापित होने चाहिए। सामाजिक ठहराव कानूनी संबंधों को निर्मित नहीं करते जैसे एक साथ घूमने जाना, एक साथ खाना खाना, एक साथ पढ़ना आदि।
(2) प्रस्ताव की शर्तें निश्चित होनी चाहिए : प्रस्ताव की शर्तें
निश्चित तथा स्पष्ट होनी चाहिए। उदाहरण के लिए राम इस शर्त पर श्याम को उसकी बकरी बेचने का प्रस्ताव करता है कि यदि यह भविष्य में बच्चा पैदा करती है, तो वह बकरी को बेच देगा, यह प्रस्ताव अनिश्चित है।
(3) प्रस्ताव निवेदन के प्रारूप होना चाहिए : प्रस्ताव
निवेदन तथा नम्र प्रारूप में होना चाहिए न कि एक आदेश के प्रारूप में। प्रस्तावक प्रस्ताव से सहमत होने के लिए स्वीकारकर्ता के लिए कोई भी शर्त तय कर सकता है लेकिन इसे खारिज करने के लिए नहीं कर सकता।
अन्य शब्दों में प्रस्तावक यह नहीं कह सकता कि यदि स्वीकृति एक विशिष्ट अवधि के दौरान प्राप्त नहीं होती है, तब प्रस्ताव या ऑफर को स्वीकार किया हुआ मान लिया जाएगा।
(4) प्रस्ताव साधारण या विशेष हो सकता है जब कोई
प्रस्ताव किसी विशिष्ट व्यक्ति के सामने किया जाता है, तब इसे एक विशिष्ट प्रस्ताव के रूप में जाना जाता है। हालांकि जब कोई प्रस्ताव साधारण जनता या अनिश्चित लोगों या उनके समूह के लिए किया जाता है, तब इसे सामान्य या जनरल प्रस्ताव के रूप में जाना जाता है।
(5) प्रस्ताव के संबंध में सूचना दी जानी चाहिए : व्यक्ति
जिसे प्रस्ताव किया गया है, को निश्चित ही प्रस्ताव के संबंध में सूचना होनी चाहिए। यदि प्रस्ताव संचारित नहीं किया जाता है, तब सहमति देना संभव नहीं होगा।
(6) प्रस्ताव स्पष्ट या गर्भित हो सकता है जब कोई प्रस्ताव
स्पष्टतः मौखिक या लिखित में दिया जाता है, तब इसे स्पष्ट प्रस्ताव के रूप में जाना जाता है। जब प्रस्ताव स्पष्टतः घोषित नहीं किया जाता है, लेकिन सिर्फ कन्डक्ट या व्यवहार द्वारा दिखता है, तब से गर्भित प्रस्ताव
के रूप में जाना जाता है। गर्भित प्रस्ताव व्यावसायिक परंपराओं तथा परिपाटियों कार्य की विधि तथा प्रस्तावक के व्यवहार द्वारा जाना जाता है। उदाहरण के लिए एक बस स्टेण्ड पर निश्चित समय तथा स्थान बसों का चलन तथा राहगीरों का ट्रांसपोटेशन, गर्भित प्रस्ताव का एक
उदाहरण है।
(7) प्रस्ताव को दूसरे पक्षकार की सहमति प्राप्त करने के
उद्देश्य से किया जाना चाहिए- किसी चीज को करने या न करने का एक प्रस्ताव अन्य पक्षकार की सहमति प्राप्त करने के विचार से किया जाना चाहिए। सिर्फ इच्छा को जाहिर करना एक प्रस्ताव नहीं होता।
(8) प्रस्ताव द्वारा अस्वीकृतता के संप्रेषण के दायित्व की
बाध्यता नहीं होनी चाहिए- स्वीकारक द्वारा प्रस्तावक को उसकी अस्वीकृतता का संप्रेषण करने की बाध्यता नहीं होनी चाहिए। अतः प्रस्तावक यह नहीं कह सकता कि यदि एक विशिष्ट दिनांक के पहले अस्वीकृतता संप्रेषित नहीं की जाती है, तो यह मान लिया जाएगा कि इसे स्वीकार कर लिया गया है।
(9) प्रस्ताव शर्तपूर्ण हो सकता है- एक प्रस्ताव किसी शर्त के ऊपर आधारित हो सकता है। उस स्थिति में, इसे उस शर्त के अनुसार स्वीकार किया जा सकता है। यदि शर्त स्वीकार नहीं की जाती है तो प्रस्ताव खत्म हो जाता है। यदि प्रस्ताव में कुछ शर्तें समाहित हैं तथा प्रस्तावक ने स्वीकारक को नोटिस देने हेतु जो पर्याप्त जरूरी था वह किया है तो प्रस्ताव स्वीकार करने वाले व्यक्ति द्वारा इसे शर्तों द्वारा स्वीकार किया जाना माना जाता है।
(10) प्रस्ताव का अन्त एक प्रस्ताव का अन्त हो जाता है-
यदि या तो प्रस्तावक या स्वीकारक स्वीकृति के पहले मर जाता है।
यदि इसे
(i) निर्दिष्ट समय या
(ii) एक उचित समय के अन्तर्गत स्वीकार नहीं किया जाता है।
उचित समय क्या है यह परिस्थितियों पर निर्भर करता है। एक व्यक्ति ने कम्पनी के अंशों को खरीदने का प्रस्ताव किया। कम्पनी ने प्रस्ताव को 5 महीनों बाद स्वीकार किया। यह पाया गया कि प्रस्ताव को स्वीकार करने में अनुचित देरी हुई एवं इसलिए इसे खत्म हुआ मान लिया गया।